डिलीवरी के बाद गर्भ निरोध के लिए अपनाये ये सुरक्षित तरीके | नहीं होगी इससे बच्चे को कोई भी परेशानी |

contraception after delivery

डिलीवरी के बाद गर्भ धारण करना काफी आसान होता है क्युकी प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में फीमेल हारमोंस का स्त्राव ज्यादा होता है इसलिए डिलीवरी के तुरंत बाद फिर से गर्भवती होने के चांसेस काफी ज्यादा होते है इसीलिए ही डॉक्टर या घर के पुराने लोगो द्वारा डिलीवरी के बाद 2 महीने तक महिला को पति से दूर रखा जाता है क्युकी ताकि शरीर को फिर से सामान्य होने का समय मिल सके और गर्भ धारण होने से भी बचे रहे |

गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कब से करे ?

डिलीवरी के बाद फिर से पीरियड्स आने में 4 से 5 महीने तक लग सकते है और डॉक्टर के अनुसार डिलीवरी के बाद 6 हफ्तों तक कम से कम रिलेशन नहीं बनाना चाहिए इसलिए डिलीवरी के दो महीने बाद से आप गर्भ निरोध का इस्तेमाल शुरू कर सकती है हालाँकि कुछ तरीको में डिलीवरी होते ही गर्भ निरोध दे दिए जाते है |

एक बार बच्चा होने के बाद महिला के लिए वापस प्रेग्नेंट होना इतना आसान नहीं होता है क्युकी उसके शरीर को नार्मल होने में समय लगता है मेडिकल में भी बच्चे के जनम के बाद दुसरे बच्चे में 2-3 साल का अंतर रखने की सलाह दी गई है इसलिए गर्भ निरोध करना काफी आवश्यक होता है आइये जानते है कुछ तरीको के बारे में :-

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गर्भ निरोध के तरीके :-

गर्भनिरोधक गोलिया :-

ये एक आसान तरीका है बिर्थ कण्ट्रोल करने का इसमें रिलेशन बनाने के बाद गर्भ निरोधक गोली ले ली जाती है ये गोलिया भी दो तरह की होती है :-

  1. कॉम्बिनेशन पिल्स :-

    इस तरह की गोली में दो हारमोंस एस्ट्रोजन और प्रेजेस्टन का मेल होता है परन्तु इन गोलियों का असर महिला के ब्रैस्ट मिल्क के सप्लाई पर पड़ता है यानि इन गोलियों की वजह से स्तन में दूध आना कम या बंद भी हो सकता है या फिर शरीर में खून के थक्इके बन सकते है इसलिए ये गोली डॉक्टर द्वारा recommend नहीं की जाती है पर अगर फिर भी कोई महिला इसे लेना चाहती है तो डिलीवरी के 5 से 6 हफ्तों के बाद इसे ले सकती है |
  2. मिनी पिल्स :- इस प्रकार की गोली में एक हार्मोन प्रेजेस्टन होता है इसलिए इसका असर ब्रैस्ट मिल्क के सप्लाई पर नहीं पड़ता है और डिलीवरी के बाद इस गोली को लेना सेफ होता है |
इंट्रा उटेरिने डिवाइस (IUD):-

ये एक तरह की डिवाइस होती है जिसे महिला के uterus में लगा दी जाती है ताकि ये स्पर्म को अन्दर जाने से रोक सके| ये तरीका काफी लम्बे समय के लिए कारगर होता है क्युकी इसमें रोज रोज गोली लेने की परेशानी नहीं होती है , बस एक बार डिलीवरी के समय या कुछ हफ्तों के बाद ये डिवाइस इन्सर्ट करा दी जाती है और फिर गर्भवती होने की सम्भावना न के बराबर रहती है |

ये डिवाइस दो तरह की होती है पहली कॉपर स्टिकहोती है जो T शेप में होती है इसे डॉक्टर द्वारा सर्विक्स के रस्ते में लगा दिया जाता है ताकि एग्ग fertilize होने से बचे रहे और दूसरी हार्मोनल होती है जिसमे कुछ हारमोंस महिला को दिए जाते है जो गर्भ ठहरने से कुछ समय तक रोक के रखते है

ये हारमोंस uterus की लाइन में रहते है और स्पर्म को अन्दर जाने से रोकते है आजकल मेडिकल में कई तरह के IUD हारमोंस अवेलेबल है जिनका असर 3 साल से 10 साल तक रहता है वो इस पर निर्भर करता है की आप किस अवधि तक गर्भ निरोधक लेना चाहते है

बाहरी तरीके :-

कुछ बाहरी तरीके भी होते है जिसमे शरीर के अन्दर किसी हार्मोन या डिवाइस को नहीं लगाया जाता है जैसे :-

कंडोम:- ये प्रेगनेंसी रोकने का सबसे फेमस और असरदार मेथड है ,अगर सही तरीके से उपयोग किआ जाये तो ये 100 परसेंट तक असरदार होता है |

स्पेर्मीसाइड :- ये एक तरह की cream या जेल होता है जिसे पेनिस पर लगाया जाता है ताकि स्पर्म के असर को ख़तम किआ जा सके ये भी एक असरदार तरीका है गर्भ रोकने का |

डायफ्राम:- ये एक बाहरी तरीका है जिसमे डायफ्राम डिवाइस को महिला के वेजाइना में फिर कर दिया जाता है ताकि ये स्पर्म को अन्दर जाने से रोक सके और गर्भ ठहरने से बच जाये |इसे लगाने के लिए डिलीवरी के बाद कुछ हफ्तों का इन्तेजार करे और डॉक्टर की कंसल्टेशन के बाद ही उपयोग करे |

सर्विकल कैप :- ये एक तरह की कैप के आकार की बाहरी डिवाइस होती है जिसे वेजाइना के अन्दर सर्विक्स के मुह पर फिर कर दिया जाता है ताकि की स्पर्म के अन्दर जाने वाले मार्ग को रोक दे और इस तरह से गर्भ ठहरने से बच जाता है |

अन्य तरीके :-

इम्प्लान्ट्स:- इस प्रकार के गर्भ निरोध तरीके में हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा एक पतली स्टिक को हाथ की उपरी बाजु में स्किन के अन्दर लगा दिया जाता है जिससे शरीर में हार्मोन को कण्ट्रोल किआ जा सके ये तरीका 3 साल तक असरदार होता है और डिलीवरी के बाद गर्भ निरोध के लिए इस तरीके को अपनाने से बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है न ही ब्रैस्ट मिल्क पर इसका असर पड़ता है |

इंजेक्शन :- इस तरीके से गर्भह निरोध करने के लिए डॉक्टर द्वारा हर तीन महीने में हारमोंस के इंजेक्शन दिए जाते है इस तरीके में दिए जाने वाले प्रोजेस्ट्रोनहर्मोने की मात्र इम्प्लान्ट्स के तुलना में ज्यादा होती है |

पैचेस:- ये एक पील और स्टिक पैच होते है जिन्हें निकल के शरीर में कही भी जैसे पीठ,आर्म,हिप्स,जांघ आदि कही भी चिपका दिया जाता है ये कार्य हफ्ते में एक बार किआ जाता है और पूरे हफ्ते गर्भ निरोध का कार्य करता है | इन पैच में दो हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रो होते है जो शरीर में गर्भ ठहरने से रोकते है | डिलीवरी के बाद इनका उपयोग करने के लिए कम से कम 6 हफ्तों का इन्तेजार करना होता है और इनके उपयोग से स्तनों का दूध कम हो सकता है इसलिए स्तन पान कराने वाली माओ के लिए ये तरीका सेफ नहीं होता है |

वेजाइनल रिंग :- ये एक रिंग के आकार की डिवाइस होती है जिसे वेजाइना में लगा दिया जाता है और ये कम से कम 3 हफ्तों तक गर्भ रोकने में मदद करती है हालाँकि इस डिवाइस में दो हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रो होते है इसलिए इसे स्तन पान कराने वाली महिलाओ को recommend नहीं किआ जाता है क्युकी ये खून के थक्के जमा सकता है और ब्रैस्ट मिल्क पर भी इसका असर होता है |

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