Quadruple Marker Test क्या होता है और प्रेगनेंसी में क्यों कराया जाता है ? Second Trimester Screening Test .

Quadruple Marker Test क्या होता है और प्रेगनेंसी में क्यों कराया जाता है ? Second Trimester Screening Test

quadruple marker test : प्रेगनेंसी का समय एक माँ के लिए बोहोत ही ख़ुशी का पल होता है क्युकी इस समय वो एक नन्ही सी जान को अपने अन्दर पाल रही होती है और हर छोटी चीज को अपने अन्दर महसूस कर रही होती है यहाँ तक की दूसरी तिमाही तक आते आते बच्चे के लिए इन्तेजार और ज्यादा बढ़ जाता है |

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क्युकी दूसरी तिमाही में बच्चा मूवमेंट करने लग जाता है और उसके हाथ और पैर की हलचल साफ़ महसूस होने लगती है इसी समय मे ही डॉक्टर quad marker टेस्ट कराने की सलाह देते है उससे पहले ये जानना जरूरी है की ये टेस्ट क्या होता है और क्यों कराया जाता है ? और भी जरूरी जानकारिया इस टेस्ट के बारे में आइये जानते है :-

क्या होता है क्वाड्रपल मार्कर टेस्ट (quadruple marker test kya hota hai) :-

quadruple marker test में quad शब्द लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब होता है four (4) यानी ये टेस्ट प्रेग्नेंट महिला में मुख्य चार तरह की प्रोब्लेम्स का पता लगाने के लिए कराया जाता है | इस टेस्ट टेस्ट का दूसरा नाम quadruple marker टेस्ट या 4 marker स्क्रीन टेस्ट भी कहा जाता है इसके अलावा और भी तरह के टेस्ट होते है जैसे ट्रिपल marker,मल्टीप्ल marker आदि |

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ये टेस्ट 15-20 वीक की प्रेगनेंसी duration में कराया जाता है यानि प्रेगनेंसी के दूसरी तिमाही में ये टेस्ट होता है जिसे डॉक्टर समय आने पर बता देते है |

इस टेस्ट का रिजल्ट हमेशा परसेंटेज में दिया जाता है यानि प्रेगनेंसी में कोई प्रॉब्लम कितने परसेंट है ये बताई जाती है

क्या प्रोब्लम्स पता लगाई जाती है ?

इस टेस्ट के द्वारा पैदा होने वाले बच्चे में जनम से पहले कुछ जरूरी चार जटिल समस्याओ के बारे में पता लगाया जाता है जिनके होने के चांसेस हो सकते है या फिर चेक करने वाले डॉक्टर को इनके होने की आशंका हहोती है | ये चार प्रोब्लेम्स है :-

  1. डाउन सिंड्रोम(Down Syndrome) :- डाउन सिंड्रोम बच्चो में पाई जाने वाली एक प्रॉब्लम होती है जिसमे पैदा hone वाले बच्चे में क्रोमोसोम्स की मात्रा नार्मल से अधिक पाई जाती है और इसकी वजह से बच्चे में फिजिकल या मेंटल डिसेबिलिटी होने के चांसेस रहते है | तो इसका पता quad marker टेस्ट के द्वारा लगाया जा सकता है |
  2. trisomy 18:– ये भी बच्चो में होने वाली एक कंडीशन होती है जिसमे बच्चे में क्रोमोसोम्स की मात्र नार्मल से अधिक होती है और इसकी वजह से बच्चे में ऑर्गन डिसेबिलिटी या लो बिर्थ weight जैसी प्रॉब्लम होने के चांसेस रहते है यहाँ तक की बच्चे के दिमाग का विकास भी रुक सकता है | इसका पता quad marker टेस्ट द्वारा लगाया जाता है |
  3. neural tube defects:- ये प्रॉब्लम माँ के शरीर में होने वाली किसी प्रोब्लेम्स की वजह से बच्चे में आती है जैसे माँ में diabetese ,इन्सुलिन,या कोई और मेडिकल प्रॉब्लम , इसकी वजह से बच्चे का दिमागी,शारीरिक या फिर स्पाइनल विकास रुक सकता है | ये परेशानी बच्चे में प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में ही आ जाती है पर quad marker टेस्ट सही समय पर इसका पता लगा लेटा है ताकि जरूरी उपचार हो सके |
  4. abdominal wall defects:- इस तरह की प्रॉब्लम में बच्चे के पेट का हिस्सा खुला रहता है जिसमे से ओर्गंस बहार आ सकते है | इसका पता भी quadruple marker test के द्वारा समय पर लगाया जा सकता है ताकि सही समय पर उपचार हो सके |

किन किन चीजो को टेस्ट किआ जाता है ?

इबच्चे में इन प्रोब्लेम्स को पता लगाने के लिए क्या क्या चीजे जाँची जाती है :-

  1. alpha-fetoprotein (AFP):– ये एक तरह का प्रोटीन होता है जो पेट में पल रहे बच्चे के अन्दर बनता है और वह से प्रेग्नेंट महिला के blood में भी आता है तो इस टेस्ट के द्वारा महिला के खून की जांच करते समय alpha-fetoprotein (AFP) का स्टार नापा जाता है जिससे शरीर के अन्दर liver, testicles, या ovariesमें कही भी अगर tumor बन रहा हो तो उसका पता लगे जा सकता है |और कैंसर की सम्भावना होने पर समय रहते पता चल जाये |
  1. human chorionic gonadotropin (hCG):- ये एक तरह का हर्मोने होता है जो महिला के शरीर में प्लेसेंटा के द्वारा रिलीज़ किआ जाता है इसका मुख्य कार्य बच्चे में विकास के कार्य को सही तरीके के करना होता है तो quad marker टेस्ट के द्वारा इस हार्मोन का सस्तर भी देखा जाता है |
  2. estriol:- इसे oestriolओएस भी कहा जाता है ये एक फीमेल हर्मोने होता है जो महिला के uterus और बच्चे के लीवर से निकलता है और बच्चे के विकास के लिए जिम्मेदार होता है इसका स्तर भी जांचा जाता है |
  3. inhibin:- ये भी एक तरह का हार्मोन होता है जो महिला में प्लेसेंटा के द्वारा रिलीज़ होता है इसकी जांच भी की जाती है |

टेस्ट कैसे होता है (quadruple marker test meaning in hindi)?

quad marker टेस्ट एक सिंपल blood टेस्ट होता हा जिसे कराने के लिए प्रेग्नेंट महिला को बता दिया जाता है और उसके लेफ्ट हाथ के बाजू मेसे सुई के द्वारा blood का सैंपल निकला जाता है | अब इस blood सैंपल को लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाता है और कुछ समय इन्तेजार के बाद रिपोर्ट दे दी जाती है | चूंकि ये quad marker test एक सिंपल blood टेस्ट होता है इसलिए इससे माँ और बच्चे को कोई नुक्सान नहीं होता है |

क्या ये टेस्ट कराना जरूरी है ?

ये टेस्ट वेसे तो कराना जरूरी नहीं होता है और न ही तब जरूरी होता है जब आपके लेवल 2 तक के सभी टेस्ट नार्मल है पर आजकल कई डॉक्टर्स इस टेस्ट को recommend करते है ताकि किसी तरह की कोई प्रॉब्लम होने पर उसका पता चल सके | इसके अलावा कुछ केसेस ऐसे होते है जिसमे ये टेस्ट कराना जरूरी होता है जैसे:-

  1. अगर महिला की उम्र ३५ वर्ष या उससे अधिक है |
  2. अगर परिवार में कोई एब्नार्मल या स्पेशल चाइल्ड पैदा हुआ हो |
  3. महिला के खुद के कभी एब्नार्मल बच्चा हुआ हो |
  4. प्रेग्नेंट महिला के डायबिटीज(टाइप 1 ) हो |

quad marker टेस्ट इन सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखकर किआ जाता है ये एक सिंपल blood टेस्ट नहीं होता है बल्कि एक ओवरआल टेस्टिंग प्रक्रिया जिसमे बच्चे की पूरी जांच की अजाति है और किसी तरह की प्रॉब्लम होने पर उका पता लगाया जाता है |

ध्यान रहे quad marker टेस्ट प्रॉब्लम का पता लगाने के लिए किआ जाता है ये प्रॉब्लम का इलाज नहीं करता है } इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा अलग प्रक्रिया अपने जाती है |

quad marker test price :- Rs. 1895 Approx

टेस्ट का रिजल्ट कैसे आता है (double marker test results low risk means in hindi) :-

इस टेस्ट का रिजल्ट परसेंटेज में दिया जाता है जिसमे ये बताया जाता है की प्रेगनेंसी या बच्चे में कॉमप्लीकेशन कितने परसेंट है | जैसे अगर रिपोर्ट नार्मल होती है तो इसका मतलब है की बच्चा स्वस्थ है और गर्भावस्था में बोहोत कम जटिलताये है और अगर रिजल्ट एब्नार्मल या पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब है बच्चा सही नहीं है और प्रेगनेंसी में रिस्क है |

एसी कंडीशन में डॉक्टर की सलाह के द्वारा उचित डिसीजन लिया जाता है और अगर इलाज संभव हो तो वो भी किआ जाता है |

कभी कभी बच्चे का साइज़ नार्कमल से कम या ज्यादा होता है एसा होने पर भी रिपोर्ट नार्मल नहीं होती है तो एसी स्थिति में घबराने की बात नहीं होती है बल्कि आपके डॉक्टर रिपोर्ट के अनुसार आगे और टेस्टिंग कराने की सलाह दे सकते है ताकि पुष्टि कर सके जैसे

  1. CVS Testing:- Chorionic villus sampling:- बच्चे में बिर्थ डिफेक्ट की जांच|
  2. DNA Testing:- क्रोमोजोम या डीएनए में प्रॉब्लम की जांच
  3. Amniocentesis:- बच्चे में fetal abnormalities (birth defects) जैसे Down syndrome, cystic fibrosis or spina bifida की जांच|

quadruple marker test का एक्यूरेसी लेवल 98 प्रतिशत तक होता है | double marker test results low risk means in hindi

double marker test kya hota hai इसके बारे में जानने के लिए क्लिक करे |

अगर दी गई जानकारी अच्छी लगे तो कमेंट करके जरूर बताये | quadruple marker test in hindi

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