प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है | first month pregnancy

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है
प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है दरअसल प्रेगनेंसी का पहला महिना ये समझने में ही निकल जाता है की आप प्रेग्नेंट है या नहीं , मेडिकल के अनुसार पीरियड मिस होने के १० दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करने पर सही परिणाम प्राप्त किये जा सकते है इसलिए प्रेगनेंसी के पहले महीने में आपके शरीर में कुछ बदलाव होते है जो आपको प्रेग्नेंट होने का संकेत देते है जैसे स्तनों का अधिक भारी होना, सूंघने कुछ चीजे अच्छी और कुछ बोहोत बुरी लगना,सीने में जलन होना, मूड बदलना, खून के धब्बे बनना आदि, ये सभी प्रेगनेंसी के पहले महीने के दौरान हार्मोनल परिवर्तन की वजह से होते है |

अगर कोई महिला पहली बार माँ बनने जा रही है तो उसके लिए गर्भावस्था का पहला महिना बेहद खास होता है क्योकि इस समय शरीर में कई बदलाव होते है साथ ही पहली बार माँ बनने की वजह से जानकारी का भी अभाव होता है लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है क्योकि इस ब्लॉग पोस्ट में हम यही बताने जा रहे है कि प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है?

प्रेगनेंसी का पहला महीना कब शुरू होता है ?

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है के बारे में बात करने से पहले ये जानना जरूरी है कि प्रेगनेंसी का पहला महीना कब शुरू होता है ? क्योकि प्रेगनेंसी का पहला महिना ज्यादातर महिलाओ के लिए समझना मुश्किल हो जाता है और पीरियड मिस होने का पता चलने तक पहला महिला निकल चूका होता है इसलिए जानते है कि प्रेगनेंसी का पहला महीना कब शुरू होता है ?

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वैसे तो गर्भावस्था उस दिन से शुरू हो जाती है जब आपके एग्स स्पर्म के संपर्क में आकर फ़ेर्तिलाइज हो जाते है और भ्रूण को गर्भाशय की दिवार पर जोड़ देते है , यहाँ से भ्रूण धीरे धीरे विकसित होने लगता है ,इस प्रक्रिया को कन्सेप्शन कहा जाता है और इसके कारण ही महिला में अगले पीरियड मिस होते है , याही की प्रेगनेंसी का पहला महिला कन्सेप्शन से भी पहले से शुरू हो जाता है और पीरियड मिस होने से पहले लगभग १० दिन तक ये प्रक्रिया चलती है , लेकिन मेडिकल के अनुसार प्रेगनेंसी का पहला महिना LMP( लास्ट मेन्स्त्रुअल डेट ) से माना जाता है जो आपके आखिरी पीरियड के पहले दिन से शुरू होती है |

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प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है

आइये अब प्रेगनेंसी कांसिवे होने के बाद दिखने वाले लक्षणों पर बात करते है , एक बार प्रेगनेंसी टेस्ट होने के बाद तो गर्भावस्था कन्फर्म हो जाती है लेकिन इससे पहले ही महिलाओ में ये जानने की जिज्ञासा रहती है कि क्या उनके शरीर में होने वाले बदलाव प्रेग्नंत होने के कारण से है या कुछ और बात है तो इसके लिए कुछ लक्षणों पर गौर किया जा सकता है जो लगभग हर महिलाओ के लिए एक जैसे ही होते है :-

  • पीरियड मिस होना :- प्रेगनेंसी का पहला लक्षण होता है आपके पीरियड्स का मिस होना और यही से आप अनुमान लगा सकती है की आप माँ बनने वाली है लेकिन अगर इसके साथ कुछ लक्षण भी दिखाई दे तो आपका अनुमान सच हो सकता है
  • स्तनों में भारीपन महसूस होना :- अगर आपके ब्रैस्ट यानी स्तन सामान्य दिनों के मुकाबले अधिक भारी और संवेदनशील महसूस होते है तो ये आपके प्रेग्नंत होने का ही एक लक्षण है |
  • खून के धब्बे या एठन महसूस होना :- ज्यादातर नहाते समय या धोते समय आपको शरीर में खून के धब्बे या एथान महसूस होगी ये भी गर्भावस्था के लक्षणों में से एक माना गया है
  • मूड बदलना :- ये पूरे नौ महीने तक दिखाई देने वाले लक्षणों में गिना जाता है जिसमे महिलाओ के मूड में बदलाव देखने को मिल सकता है, महिला अचानक खुश होना, अचानक दुखी होना, कभी हसना कभी रोना कभी गुस्सा करना आम बात माना जाता है , अगर आप भी एसा कुछ महसूस करो तो ये गर्भवती होने का संकेत होता है |
  • सीने में जलन :-प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते है जिससे सीने में जलन की शिकायत हो सकती है ऐसे में निम्बू पानी या सोडा से आपको राहत हो सकती है
  • सूंघने से परेशानी होना :- प्रेगनेंसी में सूंघने के शमता काफी प्रभाविर होती है खासकर पहले महीने में अधिक होती है , कोई खाद्य सामग्री बोहोत आशिक अछि ला सकती है और कोई सामग्री बुरी भी लग सकती है ये एक गर्भवती होने का संकेत है (प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है)

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गर्भ में बच्चे के अंदर कितने महीने में जान आती है

प्रेगनेंसी के दौरान अक्सर महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि गर्भ में बच्चे के अंदर कितने महीने में जान आती है दरअसल प्रेगनेंसी के पहले महीने में महिला को पता ही नहीं चलता है कि वह प्रेग्नेंट थे और दूसरे महीने में जब पीरियड मिस होते हैं तो वह प्रेगनेंसी टेस्ट करती है और प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर से चेक कराने के लिए जाती है ऐसे में डॉक्टर प्रेगनेंसी कंफर्म करने के लिए और बच्चे की धड़कन को चेक करने के लिए कुछ टेस्ट बताते हैं

यह टेस्ट प्रेगनेंसी के छठे से नौ में हफ्ते के बीच में कराए जाते हैं इनको कराने पर भ्रूण में धड़कन को चेक किया जाता है महिला खुद भी भ्रूण की धड़कन को सुन सकती है अगर महिला को बच्ची की धड़कन सुनाई दे जाती है या फिर मॉनिटर पर दिखाई देती है तो इसका मतलब है कि भ्रूण में जाना आ चुकी है और नहीं दिखाई देती है तो कुछ दिनों के बाद ,लगभग यह हफ्ते बाद दुबारा टेस्ट करने की सलाह दी जाती है तो यहाँ हम कह सकते है की गर्भ में में पल रहे शिशु में जान प्रेगनेंसी कांसिव होने के छठे से आठवे सप्ताह के बीच आ जाती है |

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या खाना चाहिए

प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में प्लेसेंटा नामक अंग विकसित होता है और इस अंग का कार्य माँ के द्वारा किये गए भोजन में से पोषक तत्वों को भ्रूण तक पहुचना होता है ताकि भ्रूण का विकास हो सकते है , ऐसे में प्रेग्नेंट महिला के लिए जरूरी है की गर्भावस्था में वो अपने खान पान पर खास ध्यान दे और ऐसी किसी भी खाद्य सामग्री को खाने से बचे जिसमे पोषक तत्वों की कमी हो या जो शिशु को नुक्सान पंहुचा सकती हो , आइये जानते है :-

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या खाना चाहिए :-

  • प्रेगनेंसी के दौरान आयरन की आपूर्ति होना बेहद जरूरी है इसके लिए अपनी डाईट में हरी पत्तेदार सब्जिया ,अनार, लीची , अंजीर और किशमिश को शामिल करे |
  • प्रेगनेंसी में ऐसा भोजन करे जिसमे विटामिन, प्रोटीन, फाइबर भरपूर मात्रा में हो और इसके लिए दूध, पनीर, दही, छाछ लेवे, अंकुरित अनाज, दाले, अंडा, मांस आदि का सेवन भी कर सकते है पर ध्यान रहे सभी भोजन अछे से साफ़ किया गया और धुला हुआ ही इस्तेमाल करे |
  • प्रेगनेंसी के दौरान जरूरी है की आप अपने खान पान में फल, मूंग की दाल, चना, साबुत अनाज, सलाद आदि को शामिल करे , इनमे कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है और ये बच्चे की सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्व है |
  • प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की समस्या हो सकती है जिससे बचने के लिए जरूरी है की दिन भर पानी पीवे, साथ ही ताजे फलो को जूस दिन में दो बार पीए , प्रेगनेंसी में नारियल पानी पीना भी शिशु के लिए काफी फायदेमंद होता है |
  • प्रेगनेंसी के दौरान अच्छा खान पान से ज्यादा ये जरूरी है की सभी खाद्य वस्तुए आपकी सेहत के अनुसार हो और किसी भी तरह की एलर्जी होने पर डॉक्टर से इस बारे में पता करे |
  • प्रेगनेंसी में प्रोटीन पाउडर एक अहम् भूमीला निभाते है जो की प्रेगनेंसी के तीसरे महीने से लेना आवश्यक होता है , ओने डॉक्टर की सलाह से प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के बाद दूध में दो चम्मच प्रोटीन पाउडर लेना शुरू करिए |

प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या नहीं खाना चाहिए

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ होते है जिन्हें प्रेगनेंसी के दौरान बिलकुल नहीं खाना चाहिए क्योकि इससे शिशु को भारी नुक्सान हो सकता है , आइये जानते है :-

  • एलोवेरा जूस :- प्रेगनेंसी में एलोवेरा जूस लेने से पेल्विक हिस्‍से से ब्‍लीडिंग हो सकती है, इसलिएजरूरी है की आप इस बात का आप इस बात का ध्यान रखे और प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में एलोवेरा जूस का सेवन न करें।
  • पपीता:_गर्भपात का कारण बनने वाली चीजों में पपीते का नाम भी शामिल है। हरा और अधपका पपीता एंजाइम्‍स से युक्‍त होता है जिससे गर्भाशय में संकुचन पैदा हो सकता है और गर्भपात हो सकता है, इ‍सलिए कंसीव करने के बाद शुरुआती महीनों में हरा पपीता नहीं खाना चाहिए।
  • एक स्‍टडी में बताया गया है कि हरा या अधपका पपीता माइरिड एंजाइम और पस से युक्‍त होता है। इससे गर्भाशय में ऐंठन पैदा हो सकती है जो गर्भपात करवा सकती है।
  • कच्‍चे अंडे:-गर्भावस्‍था के शुरुआती महीनों में कच्‍चा अंडा या इससे बनी चीजों को भी खाने से बचना चाहिए। इससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है।
  • अनानास:-अनानास बहुत स्‍वादिष्‍ट और पोषक तत्‍वों से युक्‍त फल है, लेकिन गर्भावस्‍था के शुरुआती महीनों में ये फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। यदि कोई महिला प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों में अनानास खाती या इसका जूस पीती है तो उसका बच्‍चा पेट में ही मर सकता है। अनानास में ब्रोमलिन होता है जिससे पेट में संकुचन पैदा होकर मिसकैरेज हो सकता है।
  • तिल के बीज:-गर्भवती महिलाओं को नौ महीनों में तिल के बीज ज्‍यादा नहीं खाने चाहिए इसकी तासीर गरम होती है और इसे शहद में मिलाकर खाने से गर्भपात होने का डर रहता है।(प्रेगनेंसी के पहले महीने में क्या-क्या होता है)
  • क्या गर्भावस्था में सर्दी जुकाम की दवाई लेना सही है?

पीरियड मिस होने के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करने से सही रिजल्ट प्राप्त होगा ?

वैसे तो गर्भावस्था उस दिन से शुरू हो जाती है जब आपके एग्स स्पर्म के संपर्क में आकर फ़ेर्तिलाइज हो जाते है और भ्रूण को गर्भाशय की दिवार पर जोड़ देते है , यहाँ से भ्रूण धीरे धीरे विकसित होने लगता है ,इस प्रक्रिया को कन्सेप्शन कहा जाता है अगर आप सही रिजल्ट जानना चाहते है तो पीरियड मिस होने के कम से कम 10 दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना सही होता है |

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