प्लेसेंटा के बारे में 10 अजीब बाते जानकर हैरान रह जायेंगे |

प्लेसेंटा एक अंग होता है जो गर्भावस्था के दौरान युटरस मे डेवेलोप होता है और युटरस की सतह पर लगा हुआ होता है इस पेड़ की तरह दिखने  वॉले अंग (organ) का मुख्य कार्य पेट मे पल रहे बच्चे को जरूरी नुट्रीशियन (nutrients)और ऑक्सीजन (oxygen) प्रदान करना है और बच्चे के खून मे से अनावश्यक तत्वों को बाहर निकलने का होता है |

प्लेसेंटा के बारे में 10 अजीब बाते जानकर हैरान रह जायेंगे |
Human fetus on scientific backgroundप्लेसेंटा के बारे में 10 अजीब बाते जानकर हैरान रह जायेंगे |

जानते है इसके प्रमुख कार्यो और सत्यो के बारे में :-

1. माँ का अंग नहीं है :-  प्लेसेंटा कोई माँ का अंग नहीं होता है बल्कि ये बच्चे का अंग होता है क्युकी ये बच्चे के साथ ही बनता है और बच्चे के साथ ही बाहर भी आ जाता है  तो इसलिए ये एक माँ का अंग न होकर बच्चे का एक अंग होता है |

2. प्लेसेंटा का बनना:- जैसे ही माँ के शरीर मे एग फ़रटीलाइज( fertilize) होता है उसी के 6 से 7 दिन के अंदर प्लेसेंटा बनता है और जब तक बच्चा माँ के पेट मे रहता है प्लेसेंटा भी बच्चे के साथ साथ बड़ता रहता है. तो ये कह सकता है की भले ही प्लेसेंटा बच्चे का अंग होता है पर इसे बनाने मे मां और पिता दोनो का योगदान होता है.

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३. सुरक्षा कवच देना :-प्लेसेंटा माँ के शरीर मे से यमुनिटी यानी सुरक्षा कवच बच्चे को देता है और ये सुरक्षा बच्चे मे पैदा होने के 6 महीने तक रहती है. इसके बाद सुरक्षा के लिए टीके यानी वैक्सीन लगाई जाती है |

4. जुड़वाँ में प्लेसेंटा :- जानते है जुड़वाँ मे कितने प्लेसेंटा होते है. तो अगर जुड़वाँ बनने की प्रक्रिया प्लेसेंटा बनने के पहले हो जाती है तो दोनो बच्चो के अलग अलग प्लेसेंटा होते है ऐसे बच्चों को फ्रैटरनल ट्विन्स (fraternal twins) कहा जाता है और अगर बाद मे होती है तो एक ही प्लेसेंटा दोनो बच्चों के लिए होता है इन्हे आईदेनटीकल ट्विन्स(identical twins) कहते है |

5. माँ का दूध:- प्लेसेंटा भले ही एक अंग है पर इसके कार्य हैरान कर देने वाले है, माँ को ब्रेस्ट फीड के लिए भी प्लेसेंटा ही तैयार करता है और बच्चे के डिलीवर होने के बाद मां के शरीर को मिल्क प्रोडयूस करने के लिए सिग्नल देता है.

6. प्लेसेंटा को खाना :- कई जगहो पर प्लेसेंटा को पका के या कच्चा खाया भी जाता है ऐसा माना जाता है कि प्लेसेंटा मे जरूरी नुट्रीशियन(nutriients) होते है जो बलीडिंग रोकने, ब्रेस्मिलक् और एनर्जी बड़ाने और डिप्रेशन कम करने मे काफी मदादगर होता है, प्लेसेंटा खाने के इस कल्चर को प्लेसेंटोफ़ोजी (placentophagy) कहा जाता है |

7.  एक नया कल्चर:-लोटस बर्थ नामक एक कल्चर के अनुसार बच्चे को प्लेसेंटा के साथ ही बाहर निकालते है और तब तक रखते है जब तक प्लेसेंटा अपने आप ही बच्चे से अलग ना हो जाए, इस प्रक्रिया मे 3 दिन से 10 दिन तक भी लग सकते है |

8. खून का सपलायर:- प्लेसेंटा के माध्यम से मा के शरीर का लगभग 20 प्रतिशत खून हर मिनट बच्चे मे जाता है और यही कारण होता है की गर्भावस्था मे भूख ज्यादा लगती है और थकान अधिक होती है.

9. प्लेसेंटा का साइज़:- डिलीवरी के समय प्लेसेंटा का साइज लगभग 9 इंच लम्बा और 1 इंच चौडा होता है और वजन लगभग 1 पौंड होता हैं जो की बच्चे का सबसे बड़ा अंग केहलाता है वो बात अलग है की ये अंग बाकी अंगो की तरह जिंदगी भर साथ नही रहता है. नई प्रेगनेंसी मे फिर से नया प्लेसेंटा बनता है.

10. बच्चे का खाना :-खाना जो एक माँ खाती है प्रेगनेंसी के दौरान वो सीधे बच्चे को नही जाता है बल्कि वो प्रोटीन और नुट्रीशियन के कई भागो मे बट कर प्लेसेंटा मे से होकर बच्चे के पास जाता है तो अगर आप ऐसा खाना खा रहे है जिसमे प्रोटीन और नुट्रीशियन नही है तो इसका मतलब है आप अपने बच्चे को कुछ नही खिला रहे है.

तो देखा आपने एक प्लेसेंटा मां और बच्चे के लिए कितने कार्य करता है. अगर इनफार्मेशन अच्छी लगे तो हमें कमेंट करके अपनी राय बताये |

अगर ये जानकारीविडियो के माध्यम से देखना चाहते है तो नीचे दिए गए विडियो के लिंक पर क्लिक करे |

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