भारत में सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी की फीस क्या होती है ? Government vs Private hospitals fees |

जन्म देना हर औरत के लिए सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक है। नए माता पिता उस पल का बेसब्री से इन्तेजार करते है जब वो अपनी नन्ही सी जान को अपने हाथो में लेंगे और इस पल को खूबसूरत और सुरक्षित बनाने के लिए वो पूरी तरह प्रयासरत रहते है चाहे वो हॉस्पिटल का बिल पे करना ही क्यों न हो , तो इसी खूबसूरत दिन के लिए आप अपनी तैयारी पूरी कर ले और जान ले की किस प्रकार के हॉस्पिटल में क्या फीस चार्ज की जाती है नार्मल और सिजरियन डिलीवरी , आइये जानते है :-

सिजेरियन vs नॉर्मल डिलीवरी फीस

नार्मल डिलीवरी में जहा वेजाइना के रस्ते से गर्भ में पल रहे बच्चे को बाहर निकाला जाता है वही सिजरियन डिलीवरी में डॉक्टर द्वारा गर्भवती महिला के पेट पर चीरा लगाया जाता है और uterus पर कट लगाकर बच्चे को बाहर निकाला जाता है | ये कट आडा या लम्बा केसा भी लगाया जा सकता है जो पूरी तरह से गर्भवती महिला की मेडिकल कंडीशन पर निर्भर करता है |

भारत में प्रत्येक शहर में गवर्नमेंट तथा प्राइवेट हॉस्पिटल्स में नार्मल और सजेरियन डिलीवरी की फीस में अन्तर पाया जाता है और ये फीस कई तरह की बातो पर निर्भर करती है जैसे डॉक्टर्स की फीस, स्टाफ और हॉस्पिटल की फीस, मेंटेनेंस फीस,accomodation फीस , ऑपरेशन के बाद टेस्ट और देखभाल की फीस आदि कई सब कारक मिलकर एक ऑपरेशन की फीस बनती है नार्मल तथा सिजरियन डिलीवरी में फीस में ज्यादा अंतर केवल प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ही आता है |

Advertisements

गवर्मेंट हॉस्पिटल में डिलीवरी की फीस (What are charges for a normal delivery in a government hospital)

गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स से डिलीवरी कराने पर चाहे वो नार्मल डिलीवरी हो चाहे ऑपरेशन से डिलीवरी ये पूरी तरह से मुफ्त होती है और इतना ही नहीं ऑपरेशन में खर्च होने वाली दवाइया और सामान भी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में दिया जाता है |

सरकार की तरफ से चलाई गई एक नयी स्कीम के मुताबिक अब सिविल अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं के जरूरत पडऩे पर अल्ट्रासाउंड भी निशुल्क किए जाएंगे। हालांकि सिविल अस्पताल में अभी अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है लेकिन जनस्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था तैयार की है और वो ये है की सिविल अस्पताल में दाखिल गर्भवती महिला को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए शहर के प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भेजा जाएगा। विशेष बात यह है कि ऐसी गर्भवती महिलाओं से कोई फीस नहीं वसूली जाएगी।

सरकार द्वारा जारी की गई जननी शिशु सुरक्षा योजना के अनुसार ऐसी महिलाओं को गर्भ धारण करने के बाद से तमाम चिकित्सकीय सुविधाओं का खर्च सरकार द्वारा ही वहन किया जाएगा। और सिजेरियन डिलीवरी के लिए भी कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। डिलीवरी के बाद होने वाले बच्चें के स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों के खर्च को भी सरकार द्वारा ही लिया जायेगा |

यहाँ तक की अगर बच्चे को अगर तकलीफ होती है तो इमरजेंसी की स्थिति में सरकारी एंबुलेंस बिना किसी शुल्क के उसे घर से ले जाने और छोड़ जाने की जिम्मेवारी निभाएंगी।

प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलीवरी की फीस

जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल में c सेक्शन डिलीवरी यानि ऑपरेशन से डिलीवरी कराने पर ली जाने वाली फीस 45000 से 1 लाख तक होती है और नार्मल डिलीवरी के लिए 15,000 से 50,000 के बीच लिए जाते है |

किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल में इस तरह से डिलीवरी के चार्जेज तय किये जाते है ये चार्जेज कई तरह की बातो पर निर्भर करती है जैसे डॉक्टर्स की फीस, स्टाफ और हॉस्पिटल की फीस, मेंटेनेंस फीस,रहने की जगह की फीस , ऑपरेशन के बाद टेस्ट और देखभाल की फीस आदि कई सब कारको पर फीस निर्भर करती है |

नार्मल तथा सिजरियन डिलीवरी में फीस में ज्यादा अंतर केवल प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ही आता है | जिसे आप आसानी से फ़ोन पर या ईमेल द्वारा पता लगा सकते है | ये एक सैंपल फीस चार्ट है प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलीवरी का |

सरकार द्वारा चलाई गई स्कीम की जानकारी :-

गोवेर्म्मेंट hospitals में डिलीवरी करवाने पर अतिरिक्त छूट की भी सुविधा दी जाती है जिसका नाम भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना रखा है | इस योजना में उन महिलाओ को जो पहली बार माँ बन्ने जा रही है उन्हें सरकारी अस्पताल में ६००० रूपए की आर्थिक सहायता दी जाती है | इस योजना का उद्देश्य काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा देना है और उनके उचित आराम और पोषण को सुनिश्चित करना होता है । गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार हो ये भी एक मुख्य उद्देश्य है इस योजना का |

इस योजना से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले जीवित बच्चे के जन्म के दौरान फायदा होगा। योजना की लाभ राशि DBT के माध्यम से लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे भेज दी जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार निम्नलिखित किश्तों में राशि का भुगतान करेगी।
पहली किस्त: 1000 रुपए गर्भावस्था के पंजीकरण के समय
दूसरी किस्त: 2000 रुपए,यदि लाभार्थी छह महीने की गर्भावस्था के बाद कम से कम एक प्रसवपूर्व जांच कर लेते हैं ।
तीसरी किस्त: 2000 रुपए, जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और बच्चे को BCG, OPV, DPT और हेपेटाइटिस-B सहित पहले टीके का चक्र शुरू होता है ।

आप किस शहर से है हमें कमेंट करके बताइए |

इस आर्टिकल में हमसे कोई इनफार्मेशन छूट गई हो तो हमें कमेंट करके पूछिए |

Advertisements