Double Marker Test क्या होता है और प्रेगनेंसी में क्यों जरूरी होता है ? Dual Marker Test

double marker test dual marker

Double Marker Test एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है जो प्रेग्नेंट वुमन को प्रेगनेंसी के शुरुआत में ही करवाया जाता है | इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य पैदा होने वाले बच्चे के अन्दर किसी तरह की कोई abnormality के होने का पता लगाया जाता है और एसा कुछ पाए जाने पर प्रेगनेंसी में ही उसकी जांच की जाती है जयादातर ये टेस्ट 35 साल से ऊपर की महिलाओ या कुछ स्पेशल केस होने पर कराया जाता है पर आजकल लगभग हर जवान महिला को ये टेस्ट कराने के लिए कहा जाता है क्युकी आजकल हर 10 में से एक बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होता है और उनकी संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है इसलिए ये टेस्ट कराना जरूरी होता है |

कब होता है (When double marker test in pregnancy?)

ये टेस्ट प्रेगनेंसी के शुरुवाती हफ्तों में लगभग 9 से 13 हफ्तों के बीच कभी भी हो सकता है पर इस टेस्ट को कराने का उपयुक्त समय 11 से 13 हफ्ते के बीच होता है | इस समय के दौरान अगर बच्चे में किसी तरह की abnormality होती है तो वो जनम से पहले ही पता लगा ली जाती है पर अगर किसी वजह से आप पहले तिमाही में ये टेस्ट कराने से रह जाते है तो दुसरे तिमाही में quad marker टेस्ट करा सकते है |

कैसे होता है ?

ये टेस्ट एक सिंपल blood टेस्ट होता है जिसमे प्रेग्नेंट महिला के बाए (लेफ्ट) हाथ में से blood का सैंपल लिया जाता है और फिर इसे लैब में परिक्षण के लिए भेजा जाता है इसके लिए कोई पहले से तैयारी नहीं करनी होती है , टेस्ट की रिपोर्ट कुछ समय के बाद मिल जाती है जिसे आप डॉक्टर की मदद से समझ सकते है चुकी ये एक साधारण blood टेस्ट होता है इसलिए इसे कराने में माँ और बच्चे को कोई नुक्सान नहीं होता है |

Advertisements

क्या टेस्ट किया जाता है ?

dual marker test में जैसा की इसका नाम है महिला के blood में से दो मुख्य हार्मोन का टेस्ट किया जाता है जो है :-

बीटा HCG:- Beta human chorionic gonadotropin एक तरह का प्रेगनेंसी हर्मोने होता है जो महिला के प्लेसेंटा के द्वारा निकलता है और इसका मुख्य कार्य होता है पेट में पल रहे बच्चे का विकास करना होता है | पर प्रेगनेंसी के शुरुआती हफ्तों में इसे टेस्ट करना इसलिए जरूरी होता है क्युकी प्रेगनेंसी शुरू होने से लेकर 10 हफ्तों तक इस हर्मोने की मात्रा तेजी से बढती है और 10 वे हफ्ते के बाद डिलीवरी होने तक कम होती जाती है इसलि इस हार्मोन का स्तर शुरू में जांच लिया जाता है |

PEPP -A:-  Pregnancy Associated Plasma Protein-A ये एक तरह का प्रोटीन होता है जिसका लेवल प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ साथ बढ़ता है | इसका मुख्य कार्य पेट में बच्चे का विकास करना होता है पर इसके कम या ज्यादा होने का असर बच्चे पर पड़ता है और बच्चे में abnormality या डिसेबिलिटी होने की संभावना रहती है इसलिए इस को टेस्ट करना जरूरी होता है |

किन प्रोब्लेम्स का पता लगाया जाता है ?

Down’s syndrome:- ये एक तरह की प्रॉब्लम होती है जिसमे बच्चे में क्रोमोजोम की मात्रा नार्मल से अधिक होती है जिससे बच्चे में फिजिकल या मेंटल किसी भी तरह की abnormality होने के चांसेस रहते है

Trisomy 18 :- इस प्रॉब्लम में बच्चे में क्रोमोजोम की मात्रा नार्मल से अधिक होती है जिससे बच्चे का दिमागी विकास रुक सकता है या किसी अंग में अपंगता आ सकती है या फिर किसी अंग का विकास कम या ज्यादा हो सकता है |

trisomy 13:- इसे Patau’s syndrome भी कहा जाता है जिसमे बच्चे में क्रोमोजोम की एक्स्ट्रा कॉपी बन जाती है जिसकी वजह से बच्चे में मेंटल और फिजिकल प्रॉब्लम हो सकती है जो काफी सीरियस होती है जैसे अंगो का आपस में जुड़ना , अंग का विकास रुक जाना , एक्स्ट्रा अंग बन जाना आदि कई तरह की प्रोब्लेम्स हो सकती है |

Trisomy 21:- ये भी एक abnormality होती है जो पैदा होने वाले बच्चे में हो सकती है जिसकी वजह से बच्चे के शरीर के आन्तरिक या बाहरी हिस्से में कोई डिफेक्ट हो सकता है जैसे किसी अंग का मोटा या पतला होना,हियरिंग या विज़न लोस,शरीर का कोई भाग नहीं बनना ,ब्रेन का विकास नहीं होना आदि कुछ् भी हो सकता है |

नार्मल वैल्यूज क्या होती है?

एक नार्मल महिला जिसकी उम्र कोई सी भी हो उसके लिए hCG हार्मोन की नार्मल वैल्यू 25700-288000 mIU/mlबताई गई है, और PAPP – A की नार्मल वैल्यू MoM (multiple of median) बताई गई है |

कोस्ट क्या होती है (double marker test cost) ?

वेसे तो double marker test price फ्लेक्सिबल होते है और double marker test को कराने की सुविधा हर जगह नहीं मिलती है क्युकी बड़े शहर या मेट्रो सिटी में ही ये टेस्ट की सुविधा उपलब्ध होती है और वहा इस टेस्ट को कराने की कीमत लगभग 2500 -3500 के बीच होती है |

रिजल्ट कैसे आता है?

इस टेस्ट के रिजल्ट में प्रेगनेंसी की रिस्क का लेवल बताया जाता है की प्रेगनेंसी low रिस्क है या हाई रिस्क पर है |

अगर प्रेगनेंसी low रिस्क पर होती है तो पूरे प्रेगनेंसी के दौरान pepp a हर्मोने पर नजर राखी जाती है और उसके लेवल को मेजर किआ जाता है और अगर प्रेगनेंसी हाई रिस्क पर होती है तो आगे और टेस्टिंग और बड़े डॉक्टर से सलाह ली जाती है जैसे आगे NIPT टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है जिसमे ज्यादा गहराई में परिक्षण किआ जाता है |

डबल marker टेस्ट के साथ NT स्कैन भी कराया जा सकता है इसे कराने से टेस्ट का रिजल्ट और भी ज्यादा सही से आता है और अगर कोई प्रॉब्लम होती है तो उसका पता accurately लगाया जा सकता है जिससे सही समय पर उसका इलाज किआ जा सके |

Advertisements