प्रेगनेंसी में Total कितने प्रकार के अल्ट्रासाउंड होते है जानिए पूरी List और उनकी Detail | How many ultrasound required during pregnancy?

गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कितने प्रकार का होता है

गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड की एक लगा ही भूमिका होती है ये न सिर्फ प्रेगनेंसी के दौरान भ्रूण का पता लगाता है बल्कि समय समय पर भ्रूण के विकास को भी जांचने के लिए करवाया जाता है | एक गर्भवती महिला को गर्भावस्था के एक से नौ महीनो तक विभिन्न अल्ट्रासाउंड से गुजरना पड़ता है जो जांच करने वाले डॉक्टर को समय समय पर ये पता लगाने में मदद करता है की पेट में बच्चा सही से बढ़ रह है या नहीं |

गर्भावस्था में पहली से लेकर तीसरी तिमाही तक मुख्य रूप से 6 अल्ट्रासाउंड होते है हालाँकि क्रिटिकल केस में डॉक्टर किसी अल्ट्रासाउंड को दोबारा करने के लिए भी कह सकते है या फिर अन्य कोई टेस्ट भी सुझावित कर सकते है तो आइये जानते है गर्भावस्था में होने वाले सोनोग्राफी स्कैन के बारे में डिटेल में |

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गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कितने प्रकार का होता है( list of all the pregnancy ultrasounds):

गर्भावस्था के एक से लेकर 8 महीनो में टोटल 6 अल्ट्रासाउंड होते है जो ज्यादातर डॉक्टर द्वारा हर प्रेग्नेंट महिला को recommend किये जाते है लेकिन ये आवश्यक नहीं है की सभी अल्ट्रासाउंड कराये जाये , क्युकी कुछ अल्ट्रासाउंड का उद्देश्य केवल बच्चे के विकास की पुष्टि करना होता है जो की कराना बोहोत आवश्यक नहीं होता है |

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गर्भावस्था के दौरान पहला अल्ट्रासाउंड (Early Pregnancy/ First Ultrasound During Pregnancy)

गर्भावस्था का पहला या प्रारंभिक अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के छठे सप्ताह से 14वें सप्ताह के बीच कराया जाता है। यह गर्भावस्था में निम्नलिखित बातों को पता लगाता है :

  • गर्भावस्था स्वस्थ और सुरक्षित है या नहीं |
  • गर्भावस्था का गर्भकाल यानि गर्भावस्था कितने सप्ताह की है |
  • पेट के अन्दर भ्रूण के दिल की धड़कन।
  • सिंगल भ्रूण या twins के बारे में पता लगाना |
  • गर्भावस्था कितनी सुरक्षित है इसका पता लगाना |
  • गर्भवती महिला में कोई असामान्य रक्तस्राव या दर्द तो नहीं है इसका भी पता लगाना |

आम तौर पर,गर्भावस्था का पहला अल्ट्रासाउंड दो तरह से किया जाता है एक वेजाइना(vagina) के द्वारा और दूसरा पेट(abdomina) के द्वारा.

Vagina के द्वारा जो उल्ट्रासाउंड किया जाता है उसे (transvagina ट्रांसवेजीनल उल्ट्रासाउंड कहा जाता है इस प्रक्रिया मे डॉक्टर या टेकनीसियन(technician) द्वारा प्रोब को प्रेग्नेंट महिला की वेजाइना(vagina) के अंदर डाला जाता है और फिर जरूरी चेक और नाप(measurements) कीये जाते है. इसके द्वारा गर्भाष्य का साइज, योल्कसैक(yolk sac) का साइज़, योल्कसैक(yolk sac) के चारो और जो फेटलपोल (fetal pole) होता है उसका साइज़, बच्चे की हार्ट बीट सब नापी जाती है. क्युकी ये उल्ट्रासाउंड अंदर तक जांच करता है इसलिए परिणाम भी इसके सही होते है भले ही गरभाष्य और योल्क इस समय काफी छोटे ही क्यों ना हो.

दूसरा उल्ट्रासाउंड अब्डोमिनल उल्ट्रासाउंड केहलाता है इसे कराने के लिए डॉक्टर द्वारा प्रेग्नेंट महिला को पानी पी कर आने को कहा जाता है ताकि इससे युटरस(uterus) की पोजीशन सही से रहे और नाप(measurment) भी ठीक तरह से हो. इस उल्ट्रासाउंड को करने के लिए महिला के पेट पर जेल लगाया जाता है और फिर ट्रांसीवर(transceiver) की मदद से अलग अलग एंगल से जाच की जाती है. ज्यादा बारीकी से इस उल्ट्रासाउंड द्वारा नही जाचा जा सकता उसके लिए ट्रांसवेजीनल(transvaginal) उल्ट्रासाउंड बेस्ट होता है.|

डिटेल में पढ़े :- प्रेगनेंसी में पहला अल्ट्रासाउंड कब ,कैसे और क्यों कराया जाता है ?

गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड एनटी/एनबी स्कैन

गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड एनटी / एनबी स्कैन को न्यूकल ट्रांसलूसेंसी स्कैन के रूप में भी कहा जाता है। यह गर्भावस्था के 11वें से 14वें महीने में कराया जाता है। इस अवधि में शिशु का आकार 45 मिमी और 84 मिमी के बीच कहीं भी होना चाहिए। एनटी स्कैन निम्नलिखित बातो का पता लगाने के लिए कराया जाना जरूरी होता है |

  • बच्चे में डाउन सिंड्रोम के होने का |
  • बच्चे को कोई जन्मजात हृदय रोग नहीं है।
  • बच्चे में कोई VACTERAL एसोसिएशन विकसित नहीं हो रहा है।
  • बच्चा स्मिथ-लेमिली-ओपिट्ज़ सिंड्रोम से पीड़ित नहीं है।

गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड Level 2/ एनोमली स्कैन

लेवल 2 अल्ट्रासाउंड जिसे एनोमली स्कैन भी कहा जाता है यह मुख्य रूप से गर्भावस्था के 20 वे सप्ताह के दौरान कराया जाता है लेकिन एक दो हफ्ते पहले या बाद में भी कराया जा सकता है , यह अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था का सबसे जरूरी अल्ट्रासाउंड होता है क्योकि इसमें गर्भ में बच्चे के प्रत्येक अंग का बारीकी से जांच की जाती है और देखा जाता है की अहर अंग सही से विकसित हुआ है या नहीं | इस अल्ट्रासाउंड में बच्चे के हर अंग की साफ़ पिक्चर भी देखी जाती है और इसमें बच्चा पूरी तरह से बन चूका होता है इसलिए इस अल्ट्रासाउंड के दौरान बच्चा मुह में अंगूठा लिए हुए या हाथ हिलाता हुआ देखा जा सकता है |

इस अल्ट्रासाउंड में किन चीजो का पता लगाया जाता है –

  • बेबी की हार्ट रेट के बारे में
  • क्राउन रुम्प लेंग्थ (CRL) के बारे में | CRL- बच्चे की कम्पलीट लम्बाई होती है |
  • बच्चे के शरीर और सिर के चारो तरफ की नाप ली जाती है |
  • बच्चे का वजन कितना है |
  • हार्ट के चारो चैम्बर्स के बारे में |
  • किडनी,ब्लैडर और हार्ट अछे से काम कर रहे |
  • बच्चे का ब्रेन और रीड की हड्डी के सही से डेवलपमेंट का |
  • बच्चे के लिंग का भी पता लगता है |
  • प्रेग्नेंट महिला में Amniotic Fluid की मात्रा देखी जाती है – Amniotic Fluid एक लिक्विड(liquid ) होता है जिसके अन्दर बच्चा सुरक्षित रहता है |
  • प्लेसेंटा (placenta) की पोजीशन के बारे में |
  • chromosomal abnormality का पता लगाया जाता है |

डिटेल भी पढ़े :- Level 2 Ultrasound – प्रेगनेंसी का एक जरूरी अल्ट्रासाउंड

गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड लेवल 1 / ग्रोथ स्कैन

एक बार लेवल 2 अल्ट्रासाउंड कराने के बाद लेवल 1 अल्ट्रासाउंड कराया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके की बच्चे का विकास ठीक तरह से हो रहा है या नहीं , यह अल्ट्रासाउंड बोहोत डिटेल में टेस्ट नहीं करता है क्युकी डिटेल में टेस्ट कराने के लिए लेवल 2 अल्ट्रासाउंड होता है जो इस अल्ट्रासाउंड के पहले ही हो जाता है इसलिए लेवल 1 अल्ट्रासाउंड में सिर्फ बच्चे की ग्रोथ का परिक्षण किया जाता है |

इसे ग्रोथ स्कैन कहा जाता है, क्युकी यह बच्चे की ग्रोथ को जांचता है और मुख्य रूप से बच्चे के अंगो, प्लेसेंटा की पोजीशन और अम्निओटिक fluid जैसे प्राथमिक अंगो की जांच के लिए कराया जाता है |

लेवल 1 अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के दूसरे तिमाही के दौरान होता है और और गर्भ में सामान्य स्थोतियो की जांच करता है इस अल्ट्रासाउंड को कराने में केवल 10 से 15 मिनट का समय लगता है यानि की ये काफी कम समय में ही पूरा हो जाता है |

यह अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था में नीचे दी गई चीजो की जांच करता है-

  • बच्चे की पोजीशन (इसमें यह जाँच की जाती है कि बच्चा गर्भ में किस पोजीशन में है। मतलब गर्भ में बच्चा सही पोजीशन में है या नहीं इसमें जांचा जाता है |)
  • बच्चे का विकास (इस अल्ट्रासाउंड में यह जांचा जाता है की बच्चा सही से ग्रौथ कर रहा है या नहीं |)
  • गर्भाशय में अम्निओटिक फ्लूइड की उपस्थिति (अम्निओटिक फ्लूइड एक तरल पदार्थ होता है जिसके अन्दर बच्चा सुरक्षित रहता है , इसकी मात्रा ठीक है या नहीं इसकी जांच भी लेवल 1 अल्ट्रासाउंड के द्वारा की जाती है |)
  • गर्भाशय में प्लेसेंटा की स्थिति।

यह भी पढ़े :- क्या अंतर होता है लेवल 2 अल्ट्रासाउंड और लेवल 1 अल्ट्रासाउंड में 

Color Doppler Ultrasound :


इस अल्ट्रासाउंड को फेटल इको के नाम से भी कहा जाता है | फेटल इको में बच्चे के दिल की कार्यप्रणाली को देखता है। इस अल्ट्रासाउंड को कराने की सिफारिश तब की जाती है जब डॉक्टर को लेवल 2 स्कैन के दौरान पेट में बच्चे के दिल में कोई समस्या मिलती है। यह स्कैन निम्नलिखित बातो का पता लगाता है :

  • बच्चे के शरीर में होने वाले खून के प्रवाह की दर को |
  • बच्चे के कक्षों के विकास से संबंधित हृदय दोष का पता |
  • बच्चे के शरीर में होने वाले खून के प्रवाह की दिशा को |
  • बच्चे के विकास की दर को |
  • बच्चे को माँ से पहुचने वाले Nutrients को |
  • प्लेसेंटा में पहुचने वाले खून के प्रवाह को |
  • बच्चे के हार्ट और ब्रेन में पहुचने वाले खून के प्रवाह को |

color doppler द्वारा किन प्रोब्लेम्स का पता चल जाता है ?

  1. बच्चे का वजन कम होना
  2. बच्चे का विकास बराबर नही होना |
  3. बच्चे के किसी अंग का छोटा बड़ा होना |
  4. बच्चे का कोई अंग विकसित नही होना |

डिटेल में जानने के लिए यहाँ पढ़े :- Color Doppler Ultrasound – प्रेगनेंसी में कराना क्यों है इतना जरूरी? 

गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड वेलबीइंग स्कैन


गर्भावस्था के 32वें सप्ताह के दौरान डॉक्टर भ्रूण का स्वास्थ्य स्कैन कराने की सलाह देते हैं। यह मुख्य रूप से उन महिलाओं को दी जाती है जिन्हें अतीत में अपनी गर्भधारण में कोई जटिलता हुई हैं। वेलबीइंग स्कैन निम्नलिखित बातो का पता लगाने के लिए होता है |

  • सिर, जांघ की हड्डी, सिर और वजन सहित भ्रूण के शरीर के अंगों का आकार।
  • भ्रूण की स्थिति और उसका विकास |
  • यह निर्धारित करने के लिए कि भ्रूण में रक्त सामान्य रूप से बह रहा है या नहीं।
  • एमनियोटिक द्रव की मात्रा पर्याप्त है या नहीं।

गर्भावस्था का ये आखिरी अल्ट्रासाउंड होता है क्युकी ये गर्भावस्था में ८वे महीने में कराया जाता है और इसमें सिर्फ बच्चे के विकास को देखने के लिए कराया जाता है , अगर किसी तरह की कोई प्रॉब्लम गर्भावस्था में होती है तो वो पहले ही पता लगा ली जाती है इसलिए ये अल्ट्रासाउंड केवल भ्रूण के विकास की पुष्टि करने के लिए होता है |

गर्भावस्था के कुछ अन्य जरूरी टेस्ट :=

Double Marker Test (Dual Marker Test)

ये टेस्ट प्रेगनेंसी के शुरुवाती हफ्तों में लगभग 9 से 13 हफ्तों के बीच कभी भी हो सकता है पर इस टेस्ट को कराने का उपयुक्त समय 11 से 13 हफ्ते के बीच होता है | इस समय के दौरान अगर बच्चे में किसी तरह की abnormality होती है तो वो जनम से पहले ही पता लगा ली जाती है पर अगर किसी वजह से आप पहले तिमाही में ये टेस्ट कराने से रह जाते है तो दुसरे तिमाही में quad marker टेस्ट करा सकते है|

ये टेस्ट एक सिंपल blood टेस्ट होता है जिसमे प्रेग्नेंट महिला के बाए (लेफ्ट) हाथ में से blood का सैंपल लिया जाता है और फिर इसे लैब में परिक्षण के लिए भेजा जाता है इसके लिए कोई पहले से तैयारी नहीं करनी होती है , टेस्ट की रिपोर्ट कुछ समय के बाद मिल जाती है जिसे आप डॉक्टर की मदद से समझ सकते है 

dual marker test में जैसा की इसका नाम है महिला के blood में से दो मुख्य हार्मोन का टेस्ट किया जाता है जो है :-बीटा HCG और PEPP -A, जिन्हें टेस्ट टेस्ट करके भ्रूण में डाउन सिंड्रोम या trisomy जैसी समस्याओ का समय से पहले ही पता लगा लिया जाता है |

डिटेल में जानने के लिए क्लिक करे :- Double Marker Test क्या होता है और प्रेगनेंसी में क्यों जरूरी होता है ?

Quadruple Marker Test:-

स टेस्ट टेस्ट का दूसरा नाम quadruple marker टेस्ट या 4 marker स्क्रीन टेस्ट भी कहा जाता है इसके अलावा और भी तरह के टेस्ट होते है जैसे ट्रिपल marker,मल्टीप्ल marker आदि | ये टेस्ट 15-20 वीक की प्रेगनेंसी duration में कराया जाता है |

इस टेस्ट में मुख्य चार हारमोंस का परिक्षण किआ जाता है और पेट में पल रहे भ्रूण में chromosomal abnormality होने का पता लगाया जाता है | quad marker टेस्ट एक सिंपल blood टेस्ट होता हा जिसे कराने के लिए प्रेग्नेंट महिला को बता दिया जाता है और उसके लेफ्ट हाथ के बाजू मेसे सुई के द्वारा blood का सैंपल निकला जाता है | अब इस blood सैंपल को लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाता है और कुछ समय इन्तेजार के बाद रिपोर्ट दे दी जाती है | चूंकि ये quad marker test एक सिंपल blood टेस्ट होता है इसलिए इससे माँ और बच्चे को कोई नुक्सान नहीं होता है |

डिटेल में जाने :- Quadruple Marker Test क्या होता है और प्रेगनेंसी में क्यों कराया जाता है ?

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