Color Doppler Ultrasound क्या होता है और प्रेगनेंसी में कब और क्यों कराया जाता है ?

color doppler ultrasound in pregnancy
color doppler ultrasound in pregnancy

कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड (Color doppler ultrasound) क्या होता है ?

Color Doppler Ultrasound (कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड ) प्रेगनेंसी के तीसरे तिमाही में यानि की लगभग 20 सप्ताह के बाद कराया जाने वाला एक जरूरी सोनोग्राफी स्कैन होता है इस color doppler test को मेडिकल की भाषा में डोपलर स्कैन (doppler scan) भी कहा जाता है | ये एक तरह का कलरफुल स्कैन होता है जिसमे दिखाई देने वाली पिक्चर रंगीन होती है और 3D फॉर्मेट में होती है |

color doppler ultrasound कराना प्रेगनेंसी में उतना ही जरूरी है जितना बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए भोजन करना इसलिए इस ब्लॉग के जरिये आप जानेगे की डोप्पलर टेस्ट इन प्रेगनेंसी में क्या काम करता है और कैसे कराया जाता है साथ ही कुछ जरूरी सवालों को जवाब भी दिए गए है जो अक्सर पूछे जाते है |


प्रेगनेंसी में अच्छा भोजन खाना और समय भी दवाइया लेना बोहोत जरूरी होता और इन्ही जरूरी कामो में से एक काम होता है ultrasound कराना , किस समय पर कोनसा ultrasound कराना है ये सोचना आपकी जिम्मेदारी नहीं है , बल्कि आपकी जिम्मेदारी तो है की आप डॉक्टर द्वारा दिए हुए इंस्ट्रक्शन को सही से follow करते रहे और संतुलित भोजन ले | प्रेगनेंसी में क्या डाइट लेनी चाहिए? इस बारे में भी इस ब्लॉग में बताया गया है |

Quadruple Marker Test क्या होता है और प्रेगनेंसी में क्यों कराया जाता है ? Second Trimester Screening Test .

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प्रेगनेंसी मे कौन कौनसे जरूरी अल्ट्रासाउंड होते है ?

बेसिकली प्रेगनेंसी में 3 सबसे जरूरी अल्ट्रासाउंड होते है जिसमे पहला अल्ट्रासाउंड होता है प्रेगनेंसी के पहले तिमाही में जिसे बेबी सोनोग्राम भी कहा जाता है , ये अल्ट्रासाउंड बच्चे की धड़कन की जाच करने के लिए और बच्चे तथा यूट्रस से सम्बंधित कुछ जरूरी मेजरमेंट लेने के लिए कराया जाता है | यानि की बच्चा uterus के अन्दर आ गया है और सही से ग्रोथ कर रहा है इन सबके बारे में पहले ultrasound में पता लगाया जाता है |

प्रेगनेंसी का पहला अल्ट्रासाउंड यानि बेबी सोनोग्राम दो तरीको से कराया जा सकता है एक प्रेग्नेंट महिला के पेट के द्वारा और दूसरा प्रेग्नेंट महिला के वेजाइना के द्वारा , जिसमे वेजाइना के अन्दर प्रोब डाला जाता है और इस प्रकार जांच की जाती है | doppler ultrasound abdominal ultrasound की तरह होता है |

प्रेगनेंसी का दूसरा अल्ट्रासाउंड दुसरे तिमाही के दौरान कराया जाता है , इस दुसरे ultrasound को लेवल 2 अल्ट्रासाउंड भी कहा जाता है | जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चे में किसी प्रकार के शारीरिक विकृति होने या न होने का पता लगाना है यानि बच्चे के शरीर का विकास और उसकी हड्डियों का विकास सही से हो रहा है या नही ये जाच इस अल्ट्रासाउंड में की जाती है |

शारीरिक विकृति कई तरह की हो सकती है जैसे trisomy , echogenic focus, neural tube defect , या chromosomal डेफिशियेंसी | जिसमे बच्चे का शारीरिक या मानसिक विकास नहीं होता है और इस बारे में समय रहते पता चलना बोहोत जरूरी होता है |

प्रेगनेंसी का तीसरा अल्ट्रासाउंड का नाम है कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड (color doppler ultrasound) जिसके बारे में यहाँ बताया गया है |
कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड(colour doppler ultrasound) में बच्चे की के शरीर में खून का प्रवाह सही से हो रहा है या नही इस बात की पुष्टि की जाती है  यानि colour doppler test में बच्चे के शरीर के हर भाग को और उसमे होने वाले खून के प्रवाह को बारीकी से जाचा जाता है और उसकी पुष्टि की जाती है | कलर डॉप्लर सोनोग्राफी sound waves के द्वारा बच्चे और माँ के शरीर में खून का प्रवाह देखता है और उसकी कलर इमेज बना के रिपोर्ट में भेजता है |

क्या अंतर होता है लेवल 2 अल्ट्रासाउंड और लेवल 1 अल्ट्रासाउंड में ?

अल्ट्रासाउंड का नामकराने का समय कराने की वजह
Early Pregnancy Scan 1st Trimesterप्रेगनेंसी कन्फर्म करना,शिशु की संख्या , हार्टबीट देखना
Ultrasound Level 1 1st Trimesterशिशु का विकास देखना , प्लेसेंटा तथा अम्निओटिक फ्लूइड की जांच
Ultrasound Level 2/ Anomaly / Tiffa Scan 2nd Trimesterशिशु के अंगो की जांच,अनोमली का पता लगाना
color doppler / fetal echo 2nd Trimesterशिशु में ब्लड का फ्लो जांचना, हार्ट की जांच
Wellbeing Scan 3rd Trimesterशिशु का विकास देखना

color doppler test में क्या क्या जांच की जाती है ?

  • बच्चे के शरीर में होने वाले खून के प्रवाह की दर सही होने की जांच इसमें की जाती है |
  • बच्चे के शरीर में होने वाले खून के प्रवाह की दिशा को भी जांचा जाता है |
  • बच्चे के विकास की दर को |
  • बच्चे को माँ से पहुचने वाले Nutrients को |
  • प्लेसेंटा में पहुचने वाले खून के प्रवाह को |
  • बच्चे के हार्ट और ब्रेन में पहुचने वाले खून के प्रवाह को देखना जाता है |

कलर डॉप्‍लर स्‍कैन या अल्‍ट्रासाउंड क्‍यों कराया जाता है?

कलर डॉक्टर द्वारा color doppler ultrasound उन गर्भवती महिलाओ को कराने को कहा जाता है जिनकी प्रेगनेंसी में किसी तरह की प्रॉब्लम या रिस्क होती है जैसी की यदि पेट में जुड़वां बच्‍चे या ज्यादा हों, या शिशु रीसस एंटीबॉडीज से प्रभावित हो, इसके अलावा यदि शिशु का स्‍वस्‍थ विकास न हो रहा हो या फिर पहली प्रेगनेंसी में बच्चे का आकार छोटा रहा हो, पहले कभी प्रेगनेंसी में से मिसकैरेज हुआ या डिलीवरी के बाद बच्‍चा मर गया हो |

डायबिटीज या हाई ब्‍लड प्रेशर या gestational diabetes होने पर भी प्रेग्नेंट महिला को डॉप्‍लर टेस्‍ट कराने की सलाह दी जाती है ताकि अगर इन सब परेशानियों का असर बच्चे के दिमागी या शारीरिक विकास पर होता है तो उसका पता समय से पहले ही लगा लिया जाता है |

colour doppler test में किन प्रोब्लेम्स का पता चल जाता है ?

  1. बच्चे का वजन कम होना
  2. बच्चे का विकास बराबर नही होना |
  3. बच्चे के किसी अंग का छोटा बड़ा होना |
  4. बच्चे का कोई अंग विकसित नही होना |

color doppler ultrasound कराने से पहले क्या तैयारी रखे ?

अगर आप ये colour doppler sonography कराने जा रहे है तो जाने से पहले दी गई तैयारी रखे :-

  1. अपने डाक्यूमेंट्स जैसे ID प्रूफ साथ ले के जाये और साथ में इनकी फोटोकॉपी और एक पेन भी ले जाये |
  2. ढीले कपडे पहन के जाये और मास्जिक लगा ले जिससे स्कैन कराने में आसानी रहे |
  3. जाने से लगभग 2 घंटे पहले कुछ न खाए और अगर स्मोकिंग करते हो तो वो भी न करे वर्ना अल्ट्रासाउंड गलत परिणाम भी दे सकता है |
  4. जाने से पहले 2 गिलास पानी पी के जाये इससे बच्चे का हिलना डुलना सही से होग और जांच करने में भी आसानी होगी | colour doppler test

colour doppler sonography कैसे होता है

(रंगीन अल्ट्रासाउंड कैसे होता है) ?

कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड (color doppler ultrasound) यानि की रंगीन अल्ट्रासाउंड कैसे होता है तो इसके लिए एक स्पेशल डिवाइस का उपयोग किया जाता है जिसे ट्रांस्दुसर (transducer) कहा जाता है | इसमें प्रेग्नेंट महिला को लेटा दिया जाता है और उसमे पेट पर एक जेल लगाया जाता है फिर उसके ऊपर ट्रांस्दुसर(transducer) घुमाया जाता है जिससे डॉक्टर के पास में रखे मॉनिटर पर बच्चे की फोटो दिखाई देती है और इस तरह डॉक्टर बच्चे की जांच करते है |

ये colour doppler test बोहोत की एक्सपर्ट वयक्ति द्वारा किया जाता है जिसे इस टेक्नोलॉजी की अच्छे से समझ हो |
आज के समय में कलर डॉप्लर सोनोग्राफी (color doppler ultrasound) लगभग हर प्रेगनेंसी में बताया जाता है पर कुछ प्रेगनेंसी मामलो में ये अल्ट्रासाउंड करना बेहद जरूरी होता है | वो जरूरी मामले कोन कोनसे होते है नीचे पढ़िए :-

  1. अगर आपके जुड़वाँ या ज्यादा बच्चे है |
  2. अगर प्रेग्नेंट महिला हाई ब्लड प्रेशर की मरीज है |
  3. अगर बच्चे के विकास की दर सामान्य से कम है |
  4. अगर पहले कभी गर्भपात हुआ है |

क्या ये सुरक्षित है?

अब सवाल आता है की क्या कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड (color doppler ultrasound) को प्रेगनेंसी के दौरान करना सुरक्षित होता है ? तो इसका जवाब है हां | ये colour doppler इन प्रेगनेंसी में बिलकुल सुरक्षित होता है | हालाँकि इस अल्ट्रासाउंड को करने में उपयोग में आने वाले उपकरणों में से गर्मी(Heat) निकलती है पर क्युकी ये अल्ट्रासाउंड प्रेग्नेंट महिला पर किया जाता है इसलिए गर्मी(Heat) की मात्रा कम होती है | और ये colour doppler test बोहोत ही एक्सपर्ट और ट्रेंड लोगो द्वारा किया जाता है इसलिए इस अल्ट्रासाउंड को करने के लिए बिलकुल भी घबराने की जरूरत नही होती है |

color doppler meaning in hindi से जुड़े कुछ जरूरी कलर सोनोग्राफी इन प्रेगनेंसी

FAQs :-

Color Doppler Ultrasound का Price क्या है ?

वेसे तो हर शहर के अनुसार इसका प्राइस अलग अलग होता है लेकिन मुख्य रूप से इसका रेट 2500 से 3500 के बीच होता है |

Color Doppler Ultrasound क्या होता है ?

doppler scan एक तरह का blood टेस्ट होता है जिसमे sound waves की मदद से बच्चे के अन्दर खून का प्रवाह जांचा जाता है और साथ ही प्लेसेंटा और uterus में भी खून के प्रवाह की जांच की जाती है जिससे बच्चे के स्वस्थ होने का पता चलता है |

color doppler sonography कब recommend की जाती है ?

ये ultrasound डॉक्टर द्वारा हाई रिस्क प्रेगनेंसी में ,या मल्टीप्ल चाइल्ड प्रेगनेंसी या फिर प्लेसेंटा में कोई प्रॉब्लम होने की कंडीशन में recommend की जाती है पर आजकल डॉक्टर सब कुछ सही चल रहा है या नहीं ये जांचने के लिए इस ultrasound को recommend करते है |

नार्मल सोनोग्राफी और colour doppler test में क्या अंतर है ?

doppler scan में बच्चे के अन्दर blood के फ्लो की जांच की जाती है जो की 3D इमेज के रूप में कलरफुल प्रिंट में रिपोर्ट देते है बल्कि सोनोग्राफी में बच्चे के bone और बाकी ओर्गंस की जांच होती है और इसकी रिपोर्ट ब्लैक एंड वाइट होती है |

color doppler test प्रेगनेंसी के कोनसे महीने में होता है ?

ये टेस्ट प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में 24 से 28 हफ्तों के बीच होता है कुछ डॉक्टर प्रेगनेंसी में 9 वे महीने में भी recommend कर सकते है ये प्रेगनेंसी की जटिलता पर निर्भर करता है |

अगर इस जानकारी को विडियो के माध्यम से देखना चाहते है तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करे :-

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