गर्भावस्था में TIFFA Scan क्या होता है ? जरूरी बातो की जानकारी:-

गर्भावस्था में TIFFA Scan क्या होता है ? जरूरी बातो की जानकारी:-

TIFFA Scan का मतलब क्या है ? ( tiffa scan means):-

TIFFA Scan में मुख्य शब्द TIFFA का अर्थ है टारगेटेड इमेजिंग फॉर फीटल एनॉमलीस(Targeted Imaging for fetal Anomalies) ये एक तरह का स्कैन या अल्ट्रासाउंड होता है जिसके द्वारा बच्चे का गेहराई से परिक्षण किया जाता है और उनमे मोजूद अनोमली यानि कोई कमी होने पर उसका पता सही समय पर लगा लिया जाता है इसलिए TIFFA Scan को anomaly स्कैन या congenital anomaly scan भी कहा जाता है |  । इसे सेकेण्ड ट्राइमेस्टर एनॉमली/ टारगेटेड स्कैन / लेवल-II या एनाटॉमी स्कैन के नाम से भी जाना जाता है।

TIFFA Scan के कुछ अन्य नाम :-

गर्भावस्था में TIFFA Scan इसका मुख्य नाम नहीं है बल्कि इसका मुख्य नाम है anomaly scan , इसके अलावा इस तिफ्फा ultrasound को कुछ और नामो से भी जाना जाता है जो है :- level 2 ultrasound, congenital anomaly scan, mid pregnancy scan, usg tiffa scan ,tiffa ultrasound, ultrasound tiffa scan, early tiffa scan आदि |

TIFFA Scan गर्भावस्था में कब कराया जाता है ?

गर्भावस्था में TIFFA Scan वैसे तो 19 से 22 हफ्तों के बीच कभी भी कराया जा सकता है लेकिन डॉक्टर के अनुसार TIFFA ultrasound को कराने का सही समय 20 हफ्ते की प्रेगनेंसी का होता है गर्भावस्था में 20 हफ्ते पूरे होने के बाद TIFFA Scan कराना इसलिए सही होता है क्युकी इस समय पर गर्भ में बच्चा पूरी तरह से विकसित हो चूका होता है और बच्चे के सभी आतंरिक तथा बाह्य अंग बन चुके होते है , ऐसे में टिफ्फा स्कैन के द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे का डीप परिक्षण करना काफी आसान हो जाता है और बच्चे में किसी तरह की कोई कमी या डिफेक्ट होने पर भी सही समय पर उसका पता चल जाता है |

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गर्भावस्था के 19 वे हफ्ते में अगर TIFFA Scan कराया जाता है तो इस समय बच्चे का पूरी तरह से विकास नहीं हुआ होता है ऐसे में सही से तथा पूरी जांच करना संभव नहीं होता है और जांच अधूरी भी रह सकती है तथा गर्भावस्था के 22 वे हफ्ते में TIFFA Scan कराना देर हो सकता है क्युकी ऐसे समय पर ultrasound कराने में यदि कोई डिफेक्ट या अब्नोर्मलिटी बच्चे में पाई जाती है जो की लाइलाज होती है और इससे बच्चे में जान का खतरा होता है तो प्रेगनेंसी टर्मिनेट नहीं की जा सकती है क्युकी २२वे हफ्ते में प्रेगनेंसी टर्मिनेट करने में माँ की जान के लिए भी खतरा होता है , तो यही कारण है की TIFFA Scan कराने का सही समय गर्भावस्था में 20 हफ्ते का होता है |

TIFFA Scan में क्या जांच की जाती है ?

TIFFA Scan के माध्यम से गर्भवती महिला तथा भ्रूण के अलग अलग अंगो की बारीकी से जांच की जाती है आइये जानते है की भ्रूण तथा महिला में अलग अलग क्या मुख्य जांचे होती है :-

भ्रूण में क्या जांचा जाता है ?

  1. गर्भावस्था में भ्रूण की संख्या :- सिंगल,ट्विन्स या अधिक शिशु होने का पता इस अल्ट्रासाउंड द्वारा लगाया जाता है |
  2. भ्रूण की पोजीशन :- भ्रूण की पोजीशन upside down, ब्रीच अथवा transverse में से कुछ भी हो सकती है इसका पता भी tiffa ultrasound द्वारा लगाया जाता है |
  3. भ्रूण की डायमेंशन:– गर्भावस्था में बच्चे की क्या डायमेंशन है इसका पता लगाने के लिए भ्रूण की crown rump length (CRL), biparietal diameter (BPD), head circumference(HC), femur length (FL), and abdominal circumference (AC) आदि सभी चीजे नापी जाती है | (इसके बारे में डिटेल विडियो :- click here )
  4. भ्रूण का विकास :- tiffa scan द्वारा गर्भ में बच्चे के विकास की दर को भी देखा जाता है और उसके नार्मल होने की पुष्टि की जाती है |
  5. भ्रूण का वजन :- गर्भ में बच्चे के वजन पर खास ध्यान दिया जाता है और उसके सही होने का पता लगाया जाता है , गर्भावस्था में भ्रूण का वजन कम होना जहा IUGR की तरफ इशारा करता है वही भ्रूण का वजन अधिक होना गर्भवती महिला में gestational diabetes के खतरे को बताता है इसलिए गर्भ में बच्चे का वजन सही है या नहीं इसका पता भी tiffa ultrasound द्वारा लगाया जाता है |
  6. बच्चे की एनाटोमी:- भ्रूण के बाह्य अंगो जैसे हाथ.पैर,और चेहरे की सरचना , हार्ट के चारो चैम्बर्स का अध्यन, बच्चे के ब्रेन,किडनी,लंग्स,फेफड़े आदि आन्तरिक अंगो का एक्सामिन इस अल्ट्रासाउंड में किया जाता है |
  7. भ्रूण की हार्ट रेट |

गर्भवती महिला में क्या जांचा जाता है ?

  1. प्लेसेंटा की पोजीशन :- गर्भवती महिला में प्लेसेंटा एंटीरियर,पोस्टीरियर अथवा लो लाइंग में से कोनसा है इसका पता भी लगाया जाता है | प्लेसेंटा की पोजीशन का असर महिला की डिलीवरी पर पड़ता है |
  2. अम्निओटिक फ्लूइड की मात्रा :- गर्भावस्था में अम्निओटिक फ्लूइड एक तरह का द्रव्य होता है जो uterus के अन्दर भरा होता है और बच्चे को इन्फेक्शन से प्रोटेक्ट रखने का कार्य करता है |
  3. गर्भाशय की अवस्था :- गर्भाशय यानी uterus की स्थिति का पता लगाया जाता है |

गर्भावस्था में क्या क्या anomaly हो सकती है ?

Down’s syndrome:- ये एक तरह की प्रॉब्लम होती है जिसमे बच्चे में क्रोमोजोम की मात्रा नार्मल से अधिक होती है जिससे बच्चे में फिजिकल या मेंटल किसी भी तरह की abnormality होने के चांसेस रहते है

Trisomy 18 :- इस प्रॉब्लम में बच्चे में क्रोमोजोम की मात्रा नार्मल से अधिक होती है जिससे बच्चे का दिमागी विकास रुक सकता है या किसी अंग में अपंगता आ सकती है या फिर किसी अंग का विकास कम या ज्यादा हो सकता है |

trisomy 13:- इसे Patau’s syndrome भी कहा जाता है जिसमे बच्चे में क्रोमोजोम की एक्स्ट्रा कॉपी बन जाती है जिसकी वजह से बच्चे में मेंटल और फिजिकल प्रॉब्लम हो सकती है जो काफी सीरियस होती है जैसे अंगो का आपस में जुड़ना , अंग का विकास रुक जाना , एक्स्ट्रा अंग बन जाना आदि कई तरह की प्रोब्लेम्स हो सकती है |

Trisomy 21:- ये भी एक abnormality होती है जो पैदा होने वाले बच्चे में हो सकती है जिसकी वजह से बच्चे के शरीर के आन्तरिक या बाहरी हिस्से में कोई डिफेक्ट हो सकता है जैसे किसी अंग का मोटा या पतला होना,हियरिंग या विज़न लोस,शरीर का कोई भाग नहीं बनना ,ब्रेन का विकास नहीं होना आदि कुछ् भी हो सकता है |

TIFFA Scan में anomaly पाए जाने पर क्या करे

tiffa scan में किसी तरह की प्रॉब्लम का पता लगने पर उस फील्ड में एक्सपर्ट डॉक्टर के द्वारा सेकंड ओपीनियन ली जाती है ताकि कोई भी बढ़ा डिसिशन गलत होने से बचा जा सके साथ ही उनके द्वारा बताये गए टेस्ट अथवा इलाज को follow करना चाहिए | कई मामलो में इस 20 वीक स्कैन में किसी anomaly के पाए जाने पट amniocentesis test अथवा nipt टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है ताकि सही स्थिति का पता लगाया जा सके |

क्या TIFFA Scan कराना सुरक्षित है ?

अब सवाल आता है की क्या TIFFA Scan अल्ट्रासाउंड को प्रेगनेंसी के दौरान करना सुरक्षित होता है ? तो इसका जवाब है हां | ये सोनोग्राफी इन प्रेगनेंसी में बिलकुल सुरक्षित होता है | हालाँकि इस अल्ट्रासाउंड को करने में उपयोग में आने वाले उपकरणों में से गर्मी(Heat) निकलती है पर क्युकी ये अल्ट्रासाउंड प्रेग्नेंट महिला पर किया जाता है इसलिए गर्मी(Heat) की मात्रा कम होती है | और ये कलर डॉप्लर सोनोग्राफी बोहोत ही एक्सपर्ट और ट्रेंड लोगो द्वारा किया जाता है इसलिए इस अल्ट्रासाउंड को करने के लिए बिलकुल भी घबराने की जरूरत नही होती है |

TIFFA अल्ट्रासाउंड कराने से पहले क्या तैयारी रखे ?

TIFFA ultrasound को कराने से पहले क्या तैयारी रखे :-

  1. जाने से पहले लगभग 2 गिलास पानी पी ले ताकि स्कैन अच्छेसे हो |
  2. अपना id प्रूफ साथ ले जाये साथ में एक फोटो कॉपी भी ले जाये |
  3. लूज कपडे पहन के जाये |
  4. मास्क व् sanitizer का प्रयोग करे |

TIFFA ultrasound कैसे होता है ?

TIFFA Scan ultrasound को कराने के लिए पहले प्रेग्नेंट महिला को एग्जामिनेशन बेड पर लेटा दिया जाता है फिर उसके पेट पर एक लिक्विड जेल लगाया जाता है इसके बाद transducer ( अल्ट्रासाउंड में उपयोग आने वाला एक उपकरण ) की मदद से पेट के चारो तरफ के एरिया की जांच की जाती है |

ट्रांस्दुसर से निकलने वाली साउंड वेव्स (sound waves ) मॉनिटर पर प्रेग्नेंट महिला के पेट के अन्दर की चित्रों को दिखाती है ये चित्र बच्चे के होते है जिसमे बच्चे के अंग दिखाई देते है ये चित्र 2D फॉर्मेट में होते है क्युकी कंप्यूटर sound waves को 2D पिक्चर में बदल देता है |

स्कैन के दौरान जैसे ही बच्चे की साफ़ पिक्चर दिखाई दे जाती है कंप्यूटर उसे फ्रीज़ करके सेव कर लेता है और फिर उससे जरूरी माप ले लिए जाते है |

अल्ट्रासाउंड के दौरान बच्चे की हार्ट बीट भी साफ़ सुनाई देती है और बच्चे में हाथ,पैर और अलग अलग अंग भी दिखाई देते है | TIFFA Scan अल्ट्रासाउंड के दौरान बच्चा थोडा बड़ा हो जाता है और कुछ हरकते भी करने लग जाता है इसलिए इस अल्ट्रासाउंड में बच्चा मुह में अंगूठा लिए या फिर हाथ हिलाता हुआ दिखाई देता है आप चाहे तो डॉक्टर से कह के बच्चे की पिक्चर भी ले सकते है |

निष्कर्ष :-

Tiffa scan इ=जिसे अन्य भाषा में anomaly scan अथवा लेवल 2 ultrasound भी कहा जाता है , एक जरूरी ultrasound होता है जिसे हर गर्भवती महिला को कराना आवश्यक है और ये माँ तथा बच्चे में प्रेगनेंसी के बीच में कुछ जरूरी चीजो की जांच करता है ताकि आपकी प्रेगनेंसी को सुरक्षित रख सके इसलिए अगर आपके डॉक्टर ne गर्भावस्था के 19 हफ्ते पूरे होने पर इस ultrasound को कराने की सलाह दी है तो इसे जरूर कराये और अपनी ultrasound report को खुद से समझने के लिए हमारा ये आर्टिकल पढ़े जिसमे एक एक लाइन का मतलब बताया गया है साथ ही विडियो का लिंक भी शेयर किया है जिसमे example report के द्वारा और ज्यादा आसानी से समझाया गया है |

FAQ

what is the cost of tiffa scan ?

प्राइवेट तथा गवर्नमेंट हॉस्पिटल में tiffa scan की price अलग अलग होती है पर साधारणत इस अल्ट्रासाउंड को कराने की cost 1200 से 1500 रूपए तक होती है |

क्या tiffa scan में जेंडर( gender prediction ) पता चलता है ?

हां tiffa scan में जेंडर का पता आसानी से चल जाता है क्युकी 20 हफ्ते में भ्रूण के जननांग बन चुके होते है पर क्युकी भारत में बच्चे के लिंग के बारे में पूछना अपराध है इसलिए इस स्कैन को कराने से पहले एक डॉक्यूमेंट पर sign कराये जाते है जिसमे जेंडर के बारे न पूछने के बारे में कहा जाता है |

क्या TIFFA Scan सभी गर्भवती महिलाओ को कराना जरूरी होता है ?

ये स्कैन हर गर्भवती महिला को जरूर कराना चाहिए और डॉक्टर द्वारा भी tiffa scan के लिए recommend किया जाता है क्युकी ये बच्चे तथा माँ के स्वास्थ्य के बारे में सही तथा पूरी जानकारी देता है |

tiffa scan video :-

tiffa scan के बारे में विडियो द्वारा जानकारी लेने के लिए नीचे दिए गए विडियो को देखे :-

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