प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज होने पर क्या करे? वाटर लीकेज के कई तरीके| water break in pregnancy in hindi,

water break in pregnancy

water break in pregnancy in hindi,प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज

प्रेगनेंसी के ९थ मंथ में पानी आना यानि वाटर ब्रेक होना , प्रेगनेंसी का एक नार्मल पार्ट होता है जिसे लगभग हर महिला द्वारा फेस किआ जाता है | वाटर ब्रेक होना एक तरह से अम्निओटिक फ्लूइड (amniotic fluid ) से भरे हुए सैक के फटने को कहते है जिसके अन्दर बच्चा 9 महीने सुरक्षित रहता है और अब पेट में से बाहर आने के लिए तैयार होता है ये डिलीवरी होने का एक लक्षण होता है |

वाटर ब्रेक कैसे होता है

अम्निओटिक फ्लूइड एक liquid होता है जिसके अन्दर बच्चा umbilical cord से जुड़ा होता है और बढता रहता है , इसमें बच्चा एक समान तापमान पर नो महीने तक रहता है | डिलीवरी से पहले इस अम्निओटिक फ्लूइड का वेजाइना के द्वारा बहार निकलना इस और इशारा करता है की अब बच्चा बाहर आने के लिए तैयार है |

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लेबर के प्रकार :-

पानी की थैली फटने /प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज होने के आधार पर लेबर मुख्य दो प्रकार के होते है :-

PROM (prelabor rupture of membranes):-

ये एक तरह की कंडीशन होती है जिसमे प्रेग्नेंट महिला के लेबर आने से पहले ही पानी की थैली फट जाती है और वाटर लीकेज हो जाता है ये बोहोत ही कॉमन होता है क्युकी इसमें बच्चा बहार निकलने से पहले धक्का देता है जिसकी वजह से अम्निओटिक फ्लूइड बाहर आ जाता है , कभी कभी तो contraction होने के बाद भी प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज हो जाता है |

गर्भावस्था में पानी की थैली फटने पर आप तुरंत पैड लगा सकती है और अपने डॉक्टर से बात कर सकती है , आपके डॉक्टर आपकी कंडीशन के हिसाब से हॉस्पिटल में एडमिट करने का डिसीजन लेते है साथ ही ये भी जांच करते है की अम्निओटिक फ्लूइड ही लीक हुआ है या नहीं | इसके अलावा बच्चे की पोजीशन भी चेक की जाती है की वो नीचे की तरफ आ गया है या नहीं इसके बाद डिलीवरी होने के लिए Contraction का इन्तेजार किआ जाता है या फिर मेडिसिन की मदद से contraction लाये जाते है |

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PPROM (preterm prelabor rupture of membranes ):-

ये दुसरे प्रकार का लेबर होता है इसमें प्रेग्नेंट महिला के 37 हफ्तों के पहले ही वाटर लीकेज हो जाता है एसा होने का कारण कुछ भी हो सकता है जैसे

  1. सर्विक्स या वेजाइना में प्रॉब्लम होना
  2. ज्यादा कमजोर होना या वजन कम होना
  3. स्मोकिंग आदि करना
  4. पहले कभी एसी डिलीवरी होना |

एसी सिचुएशन में आपको प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज होने पर तुरन डॉक्टर से बात करनी चाहिए और अगर काफी जल्दी ही आपका वाटर ब्रेक हुआ है तो कंडीशन सीरियस भी हो सकती है जैसे :-

34 हफ्ते पर वाटर ब्रेक होना :- ऐसे में इन्फेक्शन का खतरा रहता है इसलिए बच्चे को ज्यादा समय पेट में नहीं रख सकते है और नार्मल या C सेक्शन किसी भी सूटेबल तरीके से डिलीवरी कर दी जाती है |

23 से 34 हफ्तों के बीच ब्रेक होना :- एसी कंडीशन में प्रेग्नेंट महिला को हॉस्पिटल में ही एडमिट किआ जाता है और मेडिकल की हेल्प से बच्चे को कुछ समय और पेट में रखा जाता है ताकि बच्चे का और अधिक विकास हो सके | इसके लिए एंटीबायोटिक दी जाती है ताकि इन्फेक्शन से बचाव रहे और स्टेरॉयड दिए जाते है ताकि बच्चे का विकास जल्दी हो |

23 हफ्तों के पहले ब्रेक होना :- इस टाइम पीरियड में डिलीवरी होना बच्चे की सेहत के लिए सही नहीं होता है और न ही बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास हो पाता है इसलिए ऐसे बच्चे ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते है और अगर रह भी जाते है तो उनमे मानसिक या शारीरिक विकृति आ जाती है डॉक्टर इन बच्चे को अबो्र्ट करने की सलाह देते है |

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प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज न हो ?

एसी कंडीशन में डॉक्टर मैन्युअली किसी उपकरण की मदद से प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज की प्रक्रिया करते है एसा उस स्थिति में किआ जाता है जब बच्चा सर्विक्स पर आ गया होता है और डिलीवरी के लिए तैयार होता है यानि बच्चे का सिर वेजाइना के पास आ गया होता है तब डॉक्टर एक प्लास्टिक हुक की मदद से amniotic fluid को बाहर निकालते है |

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वाटर ब्रेक होने को कैसे कन्फर्म करे ?

जो महिलाये पहली बार माँ बन्ने जा रही है उनके मन में ये सवाल तीसरे trimester में आना शुरू हो जाता है की गर्भावस्था के दौरान पानी के रिसाव का पता कैसे चलेगा यानि डिलीवरी होने के लक्षण क्या होते है तो उसके लिए नीचे दिए टिप्स याद रखे :-

  1. वाटर ब्रेक होने पर अचानक तेज pressure के साथ वेजाइना से पानी बहने लगता है ये लगातार भी बह सकता है या थोडा बहने के बाद रुक जाता है और फिर धीरे धीरे बहता है |
  2. कुछ लोगो में ये पतली धार के साथ लगातार बहता है |
  3. इसकी स्मेल टॉयलेट की स्मेल से अलग होती है बल्कि इस पानी की कोई स्मेल ही नहीं होती है |
  4. प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज होने पर पेट काफी हल्का लगने लगता है और बच्चा नीचे की तरफ आता हुआ फील होता है |

प्रेगनेंसी में वाटर लीकेज कैसे होता है

प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई सारे बदलाव होते है उन्ही में से एक बदलाव होता है Internal os ka close होना | अगर आप प्रेगनेंसी ultrasound कराते है तो अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भी एक लाइन लिखी होती है की internal os is closed , ये internal os एक गेट होता है जो uterus को बंद करके रखता है और सिर्फ डिलीवरी के समय ही खुलता है |

गर्भावस्था के पूरे 9 महीने होने के बाद जब लेबर का समय आता है तो ये internal os खुल जाता है और uterus के अन्दर भरा हुआ अम्निओटिक फ्लूइड बाहर निकल आता है | अम्निओटिक फ्लूइड एक तरल पदार्थ होता है जो पानी की तरह पतला और गंध रहित होता है , डिलीवरी के समय इस अम्निओटिक फ्लूइड के बाहर आने को ही वाटर ब्रेक होना कहा जाता है |

वाटर ब्रेक होने पर तुरंत डॉक्टर को संपर्क करे |

डिलीवरी के बाद गर्भ निरोध के लिए अपनाये ये सुरक्षित तरीके

तो ये कुछ लक्षण है जिससे आप ये जान सकते है की डिलीवरी का समय आ गया है और अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए |

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FAQs

डिलीवरी से पहले पानी आना का क्या कारण होता है ?

गर्भावस्था में जैसे जैसे due date पास आने लगती है वैसे वैसे डिलीवरी के लक्षण भी नजर आने लगते है , और डिलीवरी के समय ज्यादातर महिलाओ में पानी का लीकेज शुरू हो जाता है , इसका साफ़ मतलब होता है की अब शिशु बाहर आने के लिए तैयार है और डिलीवरी का समय आ चूका है |

liquor adequate means in pregnancy इसका क्या मतलब होता है (in hindi)

गर्भावस्था में liquor का मतलब अम्निओटिक फ्लूइड से ही होता जो गर्भाशय के अन्दर भरा होता है और पेट में बच्चे को इन्फेक्शन होने से सुरक्षित रखता है | अगर गर्भाशय के अन्दर इसकी मात्रा पर्याप्त होती है तो गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड में ये लाइन लिखी होती है |

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